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CNG की कीमत में जबरदस्त बढ़ोतरी, आम जनता की जेब पर भारी पड़ेगी! CNG Price Hike

CNG की कीमत में जबरदस्त बढ़ोतरी, आम जनता की जेब पर भारी पड़ेगी! CNG Price Hike

CNG Price Hike: हाल ही में सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार CNG की कीमतों में एक बार फिर इजाफा किया गया है। यह बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय गैस दरों, परिवहन लागत और टैक्स में हुए बदलाव के कारण हुई है। कंपनियों का कहना है कि आपूर्ति लागत में बढ़ोतरी और रुपये की गिरावट से ऑपरेशन महंगा हो गया है। इसलिए अब CNG उपभोक्ताओं को नई दरों के अनुसार भुगतान करना होगा। यह बढ़ोतरी कुछ राज्यों में ₹2.50 प्रति किलो से लेकर ₹4 तक की हुई है, जिससे दैनिक उपयोगकर्ताओं को गहरी चोट पहुंची है।

कहां-कहां बढ़े रेट

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CNG की दरों में सबसे अधिक असर मेट्रो शहरों और उन क्षेत्रों में पड़ा है जहां सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह CNG पर निर्भर है। दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, मुंबई और पुणे जैसे शहरों में CNG की दरें ₹80 से ₹90 प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। छोटे शहरों में भी दरें 5 से 8 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं। राज्य सरकारें टैक्स राहत नहीं दे रही हैं, जिससे यह बोझ सीधे आम जनता पर पड़ रहा है। क्षेत्रवार कीमतें थोड़ी अलग हो सकती हैं लेकिन हर जगह असर महसूस किया जा रहा है।

ऑटो और टैक्सी चालकों पर असर

CNG की कीमत में अचानक हुई बढ़ोतरी से सबसे ज्यादा प्रभावित वर्ग ऑटो, टैक्सी और कैब चालक हैं। ये लोग हर दिन कई किलोमीटर गाड़ी चलाते हैं और ईंधन की कीमत उनके लिए सीधा खर्च बनती है। अब हर दिन ₹100 से ₹200 तक का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा। इसका नतीजा यह होगा कि या तो वे अपनी सेवाओं के रेट बढ़ाएंगे या फिर उन्हें मुनाफे में कटौती करनी पड़ेगी। कई चालकों ने पहले ही किराया बढ़ाने की मांग की है और कुछ ने विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिए हैं।

आम लोगों की जेब पर असर

जिन लोगों का रोज़ाना सफर ऑटो, टैक्सी या बसों से होता है, उनके खर्चों में सीधा इजाफा होगा। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की दरें बढ़ सकती हैं और किराया आम लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ बन जाएगा। स्कूल जाने वाले बच्चों, ऑफिस जाने वालों और रोज़मर्रा के यात्रियों के लिए यह बढ़ोतरी परेशानी का कारण बन सकती है। एक तरफ पहले से ही महंगाई का दबाव है, दूसरी ओर CNG दरें अब घर के बजट को बिगाड़ सकती हैं। हर महीने कुछ सैकड़ों रुपये ज्यादा खर्च करना अब आम आदमी की मजबूरी बन सकती है।

ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री भी परेशान

CNG पर आधारित कमर्शियल ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री जैसे स्कूल बस, कार्गो वैन और लॉजिस्टिक वाहनों को भी अब ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इससे परिवहन लागत बढ़ेगी, जिसका असर वस्तुओं की कीमतों पर भी पड़ सकता है। व्यापारी पहले से ही डीजल और पेट्रोल की कीमतों को लेकर परेशान हैं, अब CNG की बढ़ोतरी ने नया सिरदर्द पैदा कर दिया है। यह सीधा असर सप्लाई चेन पर भी पड़ सकता है, जिससे महंगाई और तेज हो सकती है। ट्रांसपोर्ट यूनियन पहले ही सरकार से सब्सिडी या राहत पैकेज की मांग कर चुकी है।

क्यों है चिंता की बात

CNG की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ अगर अन्य जरूरी सेवाओं की लागत भी बढ़ती है तो यह अर्थव्यवस्था पर दबाव बना सकता है। मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग पहले से ही खाने-पीने, बिजली, स्कूल फीस जैसे खर्चों में कटौती कर रहा है। CNG की बढ़ी दरें अब उनके रोज़ाना के सफर को भी प्रभावित करेंगी। इसके अलावा अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग महंगा हो गया, तो लोग फिर से दोपहिया या कार की ओर लौट सकते हैं, जिससे ट्रैफिक और प्रदूषण दोनों में वृद्धि हो सकती है। इसीलिए समय रहते समाधान जरूरी है।

सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार की ओर से फिलहाल कोई बड़ी राहत की घोषणा नहीं की गई है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने यह जरूर कहा है कि कीमतें बाजार आधारित हैं और कंपनियों को लागत अनुसार मूल्य तय करने का अधिकार है। हालांकि कुछ राज्यों में सरकारें CNG पर वैट में कटौती पर विचार कर रही हैं ताकि उपभोक्ताओं को राहत मिल सके। केंद्र सरकार सब्सिडी देने के पक्ष में नहीं दिख रही, लेकिन विरोध बढ़ने पर कोई अंतरिम राहत योजना आ सकती है। वर्तमान में उपभोक्ताओं को खुद ही यह बोझ उठाना पड़ रहा है।

आगे क्या हो सकता है

अगर आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की कीमतें स्थिर होती हैं या रुपये की स्थिति मजबूत होती है, तो CNG दरों में स्थिरता आ सकती है। लेकिन फिलहाल अगले कुछ महीनों तक कीमतों में राहत की संभावना कम दिख रही है। ट्रांसपोर्ट यूनियन और उपभोक्ता संगठन अगर मिलकर सरकार पर दबाव बनाते हैं तो कुछ राहत मिल सकती है। आने वाले समय में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के विकल्प भी बढ़ेंगे, लेकिन तब तक आम जनता को इस महंगाई की मार सहनी पड़ेगी। यात्रियों और ड्राइवरों को फिलहाल अपनी योजना दोबारा बनानी होगी।

अस्वीकृति

यह ब्लॉग पोस्ट केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से तैयार की गई है। इसमें दिए गए आंकड़े और जानकारी सार्वजनिक समाचार रिपोर्ट्स और ट्रेंड्स पर आधारित हैं जो समय के साथ बदल सकते हैं। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी निर्णय से पहले अपने क्षेत्र की स्थानीय दरों और सरकारी घोषणाओं की पुष्टि करें। यह लेख किसी भी प्रकार की आधिकारिक सलाह नहीं है और इसमें उल्लिखित किसी भी जानकारी के आधार पर लिए गए निर्णय की पूरी जिम्मेदारी पाठक की स्वयं की होगी। कृपया पूरी जानकारी प्राप्त कर ही कोई कार्रवाई करें।

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