WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

भाई संभल जाओ, बहन ले सकती है आधी जायदाद: हो जायेगा करोड़ों का घाटा! Sister Rights in Brother Property

Sister Rights in Brother Property

भारत में पारिवारिक संपत्ति को लेकर कई बार भाई-बहनों के बीच विवाद होते हैं, लेकिन अब इन मामलों में बहनों के अधिकार को लेकर कानून पूरी तरह साफ है। अगर आप सोचते हैं कि बहन का पैतृक संपत्ति में कोई अधिकार नहीं है, तो अब आपको सचेत हो जाना चाहिए। क्योंकि अगर बहन ने दावा ठोक दिया, तो भाई की पूरी संपत्ति का आधा हिस्सा भी हाथ से निकल सकता है। कानून के मुताबिक बहनों को अब बराबर का अधिकार मिल चुका है, और इसे नजरअंदाज करना भारी नुकसान का कारण बन सकता है।

बहनों को कब से मिला संपत्ति पर अधिकार?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

संपत्ति में बेटियों के अधिकार को लेकर सबसे बड़ा बदलाव साल 2005 में हुआ था, जब हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 लागू हुआ। इस कानून ने बेटों और बेटियों को बराबर का दर्जा दिया। यानी, बेटी चाहे शादीशुदा हो या अविवाहित, उसे पैतृक संपत्ति में उतना ही हिस्सा मिलेगा जितना बेटे को। इससे पहले बेटियों को सिर्फ कुछ विशेष परिस्थितियों में ही अधिकार मिलता था, लेकिन अब यह अधिकार कानूनन सुनिश्चित किया गया है।

पैतृक संपत्ति में बहन का हिस्सा कितना होता है?

अगर पिता की संपत्ति बिना वसीयत के छोड़ी गई है, तो उसे पैतृक संपत्ति माना जाता है। इस स्थिति में सभी बच्चे — चाहे बेटा हो या बेटी — बराबर हिस्सेदार होते हैं। अगर एक बेटे का हक 1/3 है तो बहन को भी उतना ही हिस्सा मिलेगा। कई बार लोग यह समझते हैं कि शादी के बाद बहन का हक खत्म हो जाता है, लेकिन यह पूरी तरह गलत है। शादीशुदा बेटियों का भी अपने पिता की संपत्ति पर पूरा कानूनी हक है।

अगर भाई बहन को हिस्सा देने से मना करे तो?

ऐसे मामलों में बहन कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। अगर बहन साबित कर देती है कि संपत्ति पैतृक है और उसे उसका हिस्सा नहीं मिला, तो कोर्ट आदेश देकर उसे उसका हिस्सा दिलवाएगी। कोर्ट के आदेश के बाद बहन को न सिर्फ जमीन-जायदाद में हिस्सा मिलेगा, बल्कि बीते समय का लाभ भी मिल सकता है। भाई अगर बहन को जबरन बाहर रखने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

क्या यह नियम सभी धर्मों पर लागू होता है?

यह नियम विशेष रूप से हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों के अनुयायियों पर लागू होता है। मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लिए अलग उत्तराधिकार कानून हैं। वहां संपत्ति का बंटवारा शरीयत या व्यक्तिगत कानूनों के आधार पर होता है। इसलिए अगर आप हिंदू धर्म के अंतर्गत आते हैं, तो यह नियम आपको सीधे प्रभावित करता है।

बहनें अब संपत्ति में क्या-क्या मांग सकती हैं?

बहनें न केवल जमीन-जायदाद में बराबरी का हिस्सा मांग सकती हैं, बल्कि किसी प्रकार के व्यावसायिक संस्थान, मकान, किराये की प्रॉपर्टी या खेती की भूमि में भी दावा कर सकती हैं। अगर संपत्ति पहले ही बेची जा चुकी है, तो बहन को उसके हिस्से के बराबर की राशि मांगने का हक है। यहां तक कि अगर संपत्ति से आमदनी हो रही है, तो उसका भी हिस्सा बहन को मिल सकता है।

वसीयत होने पर क्या होता है?

अगर पिता ने अपनी संपत्ति का वितरण वसीयत (Will) के जरिए किया है और उसमें किसी विशेष को ज्यादा हिस्सा दिया गया है, तो अन्य वारिसों को कानूनी तौर पर इसे चुनौती देने का अधिकार है। हालांकि, वसीयत पूरी तरह वैध हो और नियमों के अनुसार तैयार की गई हो, तो अदालत उसे मान्यता दे सकती है। लेकिन अगर वसीयत संदिग्ध हो या पक्षपातपूर्ण लगे, तो बहन उस पर सवाल उठा सकती है।

बहन का हिस्सा न देने पर कानूनी सजा?

अगर कोई भाई बहन को जानबूझकर उसके अधिकार से वंचित करता है या धोखाधड़ी से कागजों में गड़बड़ी करता है, तो यह अपराध माना जाएगा। ऐसी स्थिति में बहन केस कर सकती है और कोर्ट न सिर्फ संपत्ति का बंटवारा करवाएगी बल्कि जुर्माना और सजा भी संभव है। कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर जेल तक की नौबत आ सकती है।

क्या यह कानून पीछे से लागू होता है?

जी हां, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में यह स्पष्ट किया है कि 2005 के संशोधन कानून का लाभ उन बेटियों को भी मिलेगा जिनका जन्म इससे पहले हुआ था। यानी जन्म तिथि की बजाय यह देखा जाएगा कि पिता की मृत्यु कब हुई थी। यदि पिता की मृत्यु 2005 के बाद हुई है, तो बेटी को बराबर का हक मिलेगा, चाहे उसका जन्म किसी भी वर्ष में हुआ हो।

निष्कर्ष

समय के साथ समाज और कानून दोनों बदल रहे हैं। अब बहनें केवल घर की जिम्मेदारियों तक सीमित नहीं, बल्कि संपत्ति में भी बराबरी की हकदार हैं। अगर आप भाई हैं और सोचते हैं कि बहन को बाहर रखकर पूरी संपत्ति पर कब्जा किया जा सकता है, तो यह आपकी सबसे बड़ी भूल हो सकती है। समय रहते सही निर्णय लें और परिवार में विवाद की स्थिति से बचें।

अस्वीकृति

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी प्रकार की कानूनी प्रक्रिया शुरू करने से पहले किसी अनुभवी वकील या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। कानून समय-समय पर बदलते रहते हैं, अतः अद्यतन जानकारी के लिए सरकारी वेबसाइट या अधिकृत स्रोतों की पुष्टि करें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top